रूस और यूक्रेन का युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहा है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन पर लगातार घातक हमले कर रहे हैं. अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के बावजूद राष्ट्रपति पुतिन के माथे पर खौफ की जरा भी शिकन नहीं है. आलम यह है कि अब बात तीसरे विश्व युद्ध तक होने लगी है. इसी बीच एक ऐसी जानकारी मिली है, जो वाकई चौंकाने वाली है. खबर है कि राष्ट्रपति पुतिन यूएस आर्मी से ट्रेंड सैनिकों की मदद से ही यूक्रेन में तबाही मचाने की तैयारी कर रहे हैं.
अफगान सेना के तीन पूर्व अधिकारियों ने द एसोसिएट प्रेस से बात करते हुए कई अहम जानकारियां साझा कीं. उन्होंने बताया कि रूस ने अफगान स्पेशल फोर्स के सैनिकों को अपनी सेना में शामिल करने का प्लान बनाया है. इसके लिए उन्हें 1500 डॉलर महीने पैसे का लालच और उनके परिवार की सुरक्षा का भरोसा भी दिया गया है. अफगानिस्तान में इन स्पेशल सैनिकों ने यूएस आर्मी के साथ सेवाएं दी थीं. यूएस आर्मी की ओर से इन्हें स्पेशल ट्रेनिंग भी दी गई थी.
जंग पर नहीं जाना चाहते अफगान सैनिक
अफगान सेना के पूर्व जनरल अब्दुल रउफ ने कहा कि ये सैनिक यूक्रेन की जंग में नहीं जाना चाहते हैं, लेकिन उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है. पूर्व जनरल अब्दुल रउफ ने बताया कि उनकी बात ईरान में छिपे कुछ सैनिकों से भी हुई. उन सैनिकों ने पूर्व जनरल से पूछा था कि, ‘हम क्या करें, कुछ हल बताइए. अगर हम अफगानिस्तान वापस गए तो तालिबान हमे मार देगा.’
वहीं अफगान सेना के पूर्व जनरल अब्दुल रउफ ने बताया कि रूस की प्राइवेट मिलिट्री कंपनी Wagner Group इन सभी अफगान सैनिकों की भर्ती कर रही है. वहीं अफगान सेना के पूर्व सेनाध्यक्ष हिबातुल्लाह अलीजई ने इस मामले में कहा कि रूस की इस भर्ती में अफगान सेना का पूर्व स्पेशल कमांडर भी मदद कर रहा है, वह रूस में ही रहता है और रशियन भाषा बोलता है.
रूस में अफगान स्पेशल फोर्स के जवानों की भर्ती को लेकर महीनों पहले ही यूएस आर्मी की एक रिपोर्ट में चेताया गया था. यूएस आर्मी के कई सैनिकों का मानना था कि जो भी अफगान स्पेशल फोर्स के जवान उनके साथ तालिबान के खिलाफ लड़ चुके हैं, वह सभी गुस्से में या जिंदा रहने के लिए अमेरिका के किसी दुश्मन देश की सेना में शामिल हो सकते हैं.
अमेरिकी सेना ने नहीं निभाया था वादा
दरअसल, अमेरिका ने जो लुभावने वादों के साथ उन्हें अपने साथ भर्ती किया था, उस अनुसार एक भी चीज नहीं की. जब अमेरिकी सेना वहां से चली गई तो सभी अफगान सैनिक बेचारे देखते रह गए. कई सैनिक भागकर ईरान चले गए तो कई छुपते-छुपाते अफगानिस्तान में ही रहे. कई जो ऐसे हैं, जो ईरान गए, उनके परिवार अफगानिस्तान में ही हैं, जो उनके लिए काफी चिंता की बात भी है.
अफगानिस्तान में सेवाएं दे चुके सीआईए अधिकारी ने माइकल मलरॉय ने इस मामले में कहा कि हमने अफगान स्पेशल फोर्स के सैनिकों को अफगानिस्तान से अमेरिकी फोर्स हटाते हुए उस तरह से वहां से बाहर नहीं निकाला, जिस तरह वादा किया था. माइकल ने आगे कहा कि यह सभी सैनिक उच्च कौशल और निडर लड़ाकू हैं.
रूस और अमेरिका, दोनों के रक्षा विभागों से नहीं मिली कोई प्रतिक्रिया
रूस के रक्षा मंत्रालय की ओर से इस मामले में अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. वहीं जिस वेगनर कंपनी पर सैनिकों की भर्ती का दावा किया जा रहा है, उस कंपनी के मालिक Yevgeny Prigozhin के प्रवक्ता ने भी इस बात को सिरे से खारिज कर दिया है. दूसरी ओर, अमेरिकी रक्षा विभाग की ओर से भी इस मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है.
यूएस रक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पूर्व अफगान सैनिकों की रूसी सेना में भर्ती होना कोई हैरानी वाली बात नहीं है. वेगनर कंपनी कई और भी देश से सैनिकों की भर्ती कर रही है.
व्हाट्सएप के जरिए हो रही सैनिकों से बात
हालांकि, अभी तक यह आंकड़ा नहीं मिल पाया है कि कितने ऐसे सैनिक हैं, जो रूस के साथ यूक्रेन के खिलाफ जंग में शामिल होंगे. लेकिन एक सैनिक ने न्यूज एजेंसी से बताया कि उसकी और अन्य करीब 400 कमांडों की व्हाट्सएप चैट के जरिए बात हो रही है.
मालूम हो कि अफगानिस्तान में पिछले 20 साल से चल रहे विवाद में अमेरिकी सेना के साथ करीब 20 से तीस हजार अफगान स्पेशल फोर्स कमांडो ने जंग लड़ी. लेकिन जब अमेरिकी आर्मी ने अफगानिस्तान छोड़ा तो सिर्फ कुछ ही संख्या में अफगानी सैन्य अधिकारियों को साथ ले जाया गया. जबकि जब इन्हें रखा गया था तब कई सारे वादे किए गए थे.